इन कारकों के चलते फिच सॉल्यूशन ने घटाया भारत की वृद्धि दर का अनुमान


फिच सॉल्यूशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 फीसदी कर दिया है। 
लोगों की कमाई में कमी का अनुमान
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते निजी उपभोग घटने और बड़े स्तर पर लोगों की कमाई में कमी का अनुमान है। फिच सॉल्यूशन ने कहा कि, ‘‘पिछले सप्ताह के दौरान हमने लगातार तेल कीमतों में कमी और कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते देशों के जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमानों को समायोजित करना जारी रखा है।’’ 


और गिरावट का जोखिम
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि आगे और गिरावट का जोखिम बना हुआ है। फिच ने कहा कि 2020-21 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमानों को 4.6 फीसदी से घटाकर 1.8 फीसदी कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसका अनुमान है कि निजी उपभोग में कमी होगी और कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर लोगों की आमदनी घटेगी। 


चीन की वृद्धि दर का अनुमान भी घटा
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे राजकोषीय प्रोत्साहन की रफ्तार काफी धीमी है, जो भारत के आर्थिक संकट को बढ़ाएगा।’’ फिच ने चीन के वृद्धि दर के अनुमान को 2.6 फीसदी से घटाकर 1.1 फीसदी कर दिया है।


अन्य एजेंसियों के मुताबिक इतनी रह सकती है GDP


मालूम हो कि विश्व बैंक के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी रह सकती है। 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि दर होगी। 
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में चार फीसदी रहने का अनुमान जताया।
सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने भी 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 5.2 फीसदी से कम कर 3.1 फीसदी कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को भारत की वृद्धि दर 1.9 फीसदी रहने तथा विश्वबैंक को 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 1.8 फीसदी कर दिया थी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण आई वैश्विक महामारी के मद्देनजर यह कटौती की गई। एजेंसी के अनुसार, यह 2021-22 में बढ़कर 7.5 फीसदी रह सकता है।