लॉकडाउन और सामाजिक दूरी ही रोकेंगे वायरस, वुहान में रुके भारतीयों ने बताए अनुभव
हाइड्रोबायोलॉजिस्ट टी अरुणजीत

 

कोरोना वायरस महामारी के बीच भी चीन के सर्वाधिक संक्रमण वाले शहर वुहान में रुकने का कठिन फैसला करने वाले भारतीयों का कहना है कि इस वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन और सामाजिक-दूरी के नियमों को मानना ही एकमात्र रास्ता है।
यहां खत्म हुए 76 दिन के लॉकडाउन को लेकर खुश इन लोगों में शामिल हाइड्रोबायोलॉजिस्ट टी अरुणजीत ने बताया कि इस दौरान वे अपने कमरे में रहे और विशेष अनुमति के बाद ही अपनी लैब पर जाते थे। कई हफ्ते बात न कर पाने की वजह से वे ठीक से नहीं बोल पा रहे थे। भारत ने करीब 700 भारतीय व विदेशी नागरिकों को एयर इंडिया के दो विशेष विमानों से वुहान से निकाला था।
केरल के अरुणजीत ने वहीं रुकने का निर्णय लिया था। वे कहते हैं कि उन्हें लगा मुश्किल हालात में वहां से निकल जाना एक भारतीय के लिए आदर्श नहीं होगा। उन्हें यह भी डर था कि भारत लौटने पर उनके 50 वर्ष से अधिक उम्र के माता-पिता को संक्रमण का जोखिम हो सकता है।

 

अब भी कई लोग घर से नहीं निकल रहे
करीब ढाई महीने का लॉकडाउन खुलने के बाद भी वुहान में कई लोग घर से नहीं निकल रहे। उन्हें संक्रमण का डर बना हुआ है। अरुणजीत और उनके साथ वैज्ञानिक बताते हैं कि यह वायरस कई नई विशेषताएं रखता है। इस वजह से संक्रमण ज्यादा तेजी से फैल रहा है।

बीजिंग के होटलों में खाने की टेबल के बीच दूरी


चीन में मंगलवार को 62 और बुधवार को 63 नए मामले मिलने के बाद कोरोना वायरस फिर से फैलने की आशंका के चलते नए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। बृहस्पतिवार को नई गाइडलाइन जारी हुई, जिसके तहत बीजिंग में होटल व बार में टेबल के बीच 3.3 फीट दूरी रखना अनिवार्य किया गया है।
वहीं परिसरों के नियमित विसंक्रमण के आदेश दिए गए हैं। कई जगहों पर स्कूलों को 27 अप्रैल तक बंद ही रखने के आदेश दिए गए हैं। नए संक्रमण के पीछे विदेश से आए लोगों के अलावा ऐसे संक्रमित लोगों को भी माना जा रहा है, जिनमें लक्षण नजर नहीं आ रहे।
इस वजह से भीड़ से बचने, सामाजिक-दूरी का पालन करने और हाथ धोने जैसे मूल नियमों का पालन करने के लिए कहा जा रहा है। चीन में अधिकारी मानते हैं कि छोटे स्तर पर महामारी कुछ जगहों पर बढ़ सकती है, लेकिन जनवरी और फरवरी जैसे हालात बनने से वे इनकार कर रहे हैं।