उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत नहीं कर सकते राज्यपालः चंद्रकांत पाटिल
महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल

 

राज्य मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे ने एमएलसी मनोनीत करने की भले ही सिफारिश कर दी है लेकिन इसमें कई संवैधानिक पेच हैं। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि राज्यपाल उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य मनोनीत नहीं कर सकते। उन्हें चुनाव का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद ही दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
पाटिल ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि उद्धव को अब तक विधान परिषद सदस्य बनने के तीन अवसर मिले, लेकिन उन्होंने मौका गंवा दिया। फिलहाल, जो दो सीटें रिक्त होने की बात कही जा रही है उसका कार्यकाल अभी 6 जून 2020 तक है। जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत सदन में रिक्त स्थान भरने का नियम है, लेकिन अधिनियम की धारा 151 ए के उपनियम (ए) में स्पष्ट किया गया है कि यदि एक वर्ष से कम कालावधि है तो रिक्त सीट के लिए उपचुनाव नहीं कराया जा सकता।
ऐसे में दो महीने कार्यकाल शेष होते हुए किसी को भी मनोनीत किया जाना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। तीन महीने पहले राज्यपाल के पास एनसीपी के दो लोगों को मनोनीत करने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन राज्यपाल ने इन्ही नियमों के आधार पर प्रस्ताव वापस भेज दिया था।


विधायक चुने जाने के बाद ही दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं उद्धव



चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र में कभी मनोनीत एमएलसी मुख्यमंत्री नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य का चुनाव जीतना पड़ेगा। इसके बाद फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इससे पहले पृथ्वीराज चव्हाण जब राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, तब उनके सामने भी यह कठिनाई आई थी।
उन्हें जब कोई अवसर नहीं मिला तो वह कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य संजय दत्त का इस्तीफा लेकर चुनाव लड़े और चुने गए। दूसरी अड़चन यह है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दो महीने पहले ही एनसीपी के दो सदस्यों को मनोनीत करने का प्रस्ताव वापस भेज दिया था। यदि उद्धव को मनोनीत किया जाता है तो इसके खिलाफ मामला कोर्ट में जा सकता है।

पेच है, लेकिन पूरी तरह से राज्यपाल के विवेक पर निर्भरः अनंत कलसे



महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे का कहना है कि उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनीत करने में कानूनी पेच तो है ही। लेकिन, यह पूरी तरह से राज्यपाल के विवेक पर निर्भर है। यदि राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य मनोनीत कर दिया तो उनको समय मिल जाएगा। क्योंकि इसमें भी दो चीजें हैं। एक तो कुछ लोग कहते हैं कि उद्धव को 6 साल का टर्म मिल सकता है।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें 6 जून तक का ही कार्यकाल मिल पाएगा। फिर भी 6 जून 2020 तक ही सही, यदि उद्धव ठाकरे तब तक के लिए एमएलसी बन गए तो उसके बाद दूसरे विकल्प अपना सकते हैं। तब तक शायद करोना वायरस भी चला जाएगा। अभी तो हर हाल में उद्धव ठाकरे के लिए विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य बनना आवश्यक है। अन्यथा उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना ही होगा।