खुशखबरी, रेमडेसिविर दवा का कोरोना मरीजों पर हो रहा है जादुई असर


वॉशिंगटन। कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए बहुत अच्‍छी खबर है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि इबोला के खात्‍मे के लिए तैयार की गई दवा रेमडेसिविर कोरोना वायरस के मरीजों पर जादुई असर डाल रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की इस घोषणा के बाद अब इस महामारी से जंग में दुनियाभर में उम्‍मीदें काफी बढ़ गई है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के सलाहकार डॉक्‍टर एंथनी फाउसी ने कहा, ‘आंकड़े बताते हैं कि रेमडेसिविर दवा का मरीजों के ठीक होने के समय में बहुत स्‍पष्‍ट, प्रभावी और सकारात्‍मक प्रभाव पड़ रहा है।’ उन्‍होंने कहा कि रेमडेसिविर दवा का अमेरिका, यूरोप और एशिया के 68 स्‍थानों पर 1063 लोगों पर ट्रायल किया गया है। इस ट्रायल के दौरान यह पता चला कि ‘रेमडेसिविर दवा इस वायरस को रोक सकती है।’


इससे पहले रेमडेसिविर दवा इबोला के ट्रायल के दौरान फेल हो गई थी। यही नहीं डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी अपने एक सीमित अध्‍ययन के बाद कहा था कि वुहान में इस दवा का मरीजों पर सीमित असर पड़ा था। वुहान में ही कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। उधर, रेमडेसिविर दवा पर हुए इस ताजा शोध पर डब्‍ल्‍यूएचओ के वरिष्‍ठ अधिकारी माइकल रेयान कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया। डॉक्‍टर फॉउसी के इस ऐलान के बाद पूरी दुनिया में खुशी की लहर फैल गई है। उन्‍होंने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब कोरोना के कहर से दुनियाभर में 228,239 लोगों की मौत हो गई और 32 लाख से ज्‍यादा लोग इस महामारी से संक्रमित हैं।


दवा को इबोलो के ड्रग के रूप में विकसित किया गया था लेकिन समझा जाता है कि इससे और भी कई तरह के वायरस मर सकते हैं। अमेरिका के वाशिंगटन राज्‍य में कोरोना से जंग जीतने वाली एक महिला ने अपना निजी अनुभव शेयर करते हुए बताया था कि रेमडेसिविर  दवा  की मदद से उनके पति कोरोना से ठीक हो गए थे। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने ऐलान किया था कि रेमडेसिविर एक ऐसी दवा है जिससे कोरोना के खात्‍मे की संभावना देखी जा रही है। इससे पहले अमेरिका के शिकागो शहर में कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार 125 लोगों को यह दवा दी गई जिसमें से 123 लोग ठीक हो गए थे।


चीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे कारगर मानी जा रही दवा को तभी पेटेंट कराने की कोशिश की थी जब वहां सबसे पहले इंसानों के बीच इसके फैलने की पुष्टि हुई थी। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 20 जनवरी को इस बात की पुष्टि की थी कि यह वायरस इंसानों से इंसानों में फैल सकता है। हालांकि, लीक हुए कुछ दस्तावेजों से यह साबित होता है कि अधिकारियों को यह पता चल चुका था कि यह एक महामारी है लेकिन लोगों को चेतावनी 6 दिन बाद दी गई। यही नहीं इबोला से लड़ने के लिए अमेरिका की बनाई हुई  रेमडेसिविर  को 21 जनवरी को ही पेटेंट कराने की अर्जी दे दी गई। ये अर्जी वुहान की वायरॉलजी लैब और मिलिट्री मेडिसिन इंस्टिट्यूट ने बनाई थी।