कोरोना: एम्स समेत देश के 3 बड़े अस्पताल कर रहे एक नया प्रयोग


कोरोना वायरस (Coronavirus in India) के मरीज और सेप्सिस के मरीजों में डॉक्टरों को कुछ समानताएं नजर आई हैं। ऐसे में CSIR की देख रेख में 3 इंस्टीट्यूट ने फैसला किया है कि सेप्सिस (Sepsis) की दवा को कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों पर टेस्ट किया जाए।


नई दिल्ली
देश के 3 बड़े इंस्टीट्यूट अब कोविड-19 (Covid-19 infection in India) के मरीजों पर उस दवा का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं, जिसका इस्तेमाल सेप्सिस (Sepsis) के इलाज के लिए किया जाता है। एम्स दिल्ली (AIIMS Delhi), एम्स भोपाल (AIISM Bhopal) और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ (PGIMER Chandigarh) ने ऐसा करने का फैसला किया है। इन सभी इंस्टीट्यूट में आईसीयू भर्ती 50 मरीजों पर इसका इस्तेमाल किया जाएगा, जो गंभीर रूप से बीमार हैं। शुरुआती दौर में अभी 0.3 एमएल दवा का इस्तेमाल करने की योजना है। उम्मीद की जा रही है कि इस दवा से कोरोना वायरस (Coronavirus in India) से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी और मरीज जल्दी सही होंगे।


सेप्सिस ही क्यों, 



कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने के लिए सेप्सिस की दवा सेप्सिवेक (Sepsivac) का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि सेप्सिस के इलाज में ये दवा एक गेम चेंजर साबित हुई थी। इसके बाद सेप्सिस के मरीजों की मौत में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई थी। बता दें कि ये दवा 2007 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और कैडिला फार्मास्युटिकल लिमिटेड (Cadila Pharmaceuticals Ltd.) ने मिलकर बनाई थी।




सेप्सिस में क्या होता है, 



इस बीमारी में इम्यूनिटी कमजोर होने की वजह से शरीर में इंफेक्शन फैल जाता है और गंभीर मामलों में रोगी की मौत भी हो जाती है। सेप्सिस की समस्या पेट के इंफेक्शन, किडनी के इंफेक्शन या ब्लड स्ट्रीम इंफेक्शन की वजह से होती है। इस बीमारी में ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ जाता है और शरीर में सूजन आने लगती है। शरीर में खून के थक्के भी जमने लगते हैं। बता दें कि कोरोना के कुछ मरीजों में भी खून के थक्के जमने की शिकायत आ रही है, जिससे डॉक्टर थोड़ा हैरान भी हैं। सेप्सिस में सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने पर ऑर्गन फेल्योर होने लगता है, जिसके बाद मरीज की मौत हो जाती है।




6 महीने तक चलेगा ये प्रयोग



इस प्रयोग को CSIR की देखरेख में किया जा रहा है। CSIR ने कहा है कि ये स्टडी करीब 6 महीनों तक चलेगी। CSIR- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिसिन के डायरेक्टर राम विश्वकर्मा के अनुसार कोविड-19 के मरीजों और सेप्सिस के मरीजों में कुछ समानताएं देखने को मिली हैं, जिसके चलते CSIR ने फैसला किया है कि सेप्सिस की दवा का इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों पर किया जाए।




सेप्सिस और कोविड-19 के मरीजों में समानताएं



दोनों में ही उन लोगों को अधिक खतरा होता है, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। दोनों में ही सांस लेने में तकलीफ होती है। जिन्हें पहले से कोई बीमारी होती है, दोनों में ही उन्हें अधिक खतरा होता है। बुजुर्गों पर इसका असर काफी जल्दी हो जाता है, जो जानलेवा बन जाता है।




किन मरीजों पर होगा इसका इस्तेमाल


CSIR ने कहा है सेप्सिस की दवा का इस्तेमाल उन मरीजों पर किया जाएगा, जो कोविड-19 की वजह से गंभीर रूप से बीमार हैं। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉक्टर वी जी सोमानी के अनुसार ये ड्रग का इस्तेमाल ऑर्गन फेल्योर कम करने और कोविड-19 की वजह से मरने वालों की संख्या में भी कमी आएगी।