मध्य प्रदेश में उपचुनाव / सिंधिया के इलाके में बीजेपी की मुश्किल,ग्वालियर-चंबल संभाग के पुराने बीजेपी नेता असंतुष्ट


पवैया और अनूप मिश्रा ग्वालियर से पहुंचे भोपाल


ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने से मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग की राजनीति पूरी तरह बदल गई है। पहले सिंधिया के खिलाफ झंडा उठाने वाले लोग अब उनके समर्थन में नारे लगा रहे हैं। वहीं, सिंधिया के समर्थक ऊहा-पोह की हालत में हैं। यही हालत इलाके के दिग्गज बीजेपी नेताओं की है जिन्होंने पूरी उम्र सिंधिया-विरोध की राजनीति की और अब भविष्य को लेकर कश्मकश में हैं। बीजेपी के ऐसे नेता भोपाल में पार्टी के प्रदेश कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।


प्रदेश में जल्द ही विधानसभा की 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। इनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की और सिंधिया के प्रभाव वाली हैं। बीजेपी नेताओं को चिंता इस बात की है कि उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर सिंधिया-समर्थक नेता उम्मीदवार होंगे तो उनकी भूमिका क्या होगी। वे पार्टी के इस फैसले से संतुष्ट भी नहीं हैं। इसी सिलसिले में ये नेता भोपाल के चक्कर लगा रहे हैं। पहले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वी डी शर्मा से मिलने भोपाल आए। उनके बाद पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी वी डी शर्मा से मिलने सोमवार को प्रदेश कार्यालय पहुंचे।


इन दोनों नेताओं के साथ प्रदेश नेतृत्व की क्या बातचीत हुई,इसका खुलासा नहीं हुआ,लेकिन कयास लग रहे हैं कि पार्टीनेतृत्व ने उनसे उपचुनावों को लेकर विचार-विमर्श किया। पवैया सिंधिया के खिलाफ पहले से मुखर रहे हैं। उनके बीजेपी ज्वाइन करने के बाद भी पवैया ने सिंधिया के खिलाफ बयान दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा पिछले विधानसभा चुनाव में हार गए थे। वे उपचुनावों में टिकट के दावेदार हैं, लेकिन टिकट सिंधिया-समर्थक नेता को मिलना तय है। चर्चा है कि बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व उपचुनावों से पहले इन नेताओं का असंतोष दूर करने की कोशिश कर रहा है।


बीजेपी की ये कोशिशें हालांकि कितनी सफल होंगी, यह कहना मुश्किल है।पिछले विधानसभा चुनाव में जयभान सिंह पवैया ग्वालियर से बीजेपी के प्रत्याशी थे।उन्हें कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह तोमर ने हराया था,लेकिन तोमर अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और पवैया का चुनाव लड़ना मुश्किल दिखता है। इसी तरह अनूप मिश्रा कांग्रेस के लाखन सिंह यादव के हाथों भितरवार में पराजित हुए थे।बीजेपी की समस्या यह है कि अब तक एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं को एक पाले में कैसे रखा जाए।


ग्वालियर-चंबल संभाग के नेताओं के साथ बीजेपी नेतृत्व की बातचीत का बड़ा कारण उपचुनावों में इस इलाके का महत्व है। जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 16 ग्वालियर-चंबल संभाग की ही हैं। बीजेपी इसको लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। इसीलिए, इलाके के नेताओं के साथ मिलने-मिलाने का दौर जारी है।